Netaji Jayanti: सुभाष चंद्र बोस की विरासत को सम्मान
Netaji के प्रारंभिक जीवन और परिवार
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, उड़ीसा में हुआ था। उनका परिवार एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार था, जिसमें उन्होंने देशभक्ति और संघर्ष की भावना को अपनाया।
‘देशभक्तों के राजकुमार’ के रूप में सम्मान
नेताजी को जर्मनी और भारतीय अधिकारियों ने ‘देशभक्तों के राजकुमार’ के रूप में सम्मानित किया। महात्मा गांधी ने भी उन्हें “देशभक्तों का देशभक्त” कहा।
नेताजी का दृष्टिकोण: आध्यात्मिकता और राष्ट्रीयता
नेताजी स्वामी विवेकानंद और श्री रामकृष्ण परमहंस से प्रभावित थे और उनका मानना था कि आध्यात्मिकता और राष्ट्रीयता का संगम भारत की स्वतंत्रता के लिए आवश्यक है।
कांग्रेस में नेताजी की प्रभावशाली भूमिका
सुभाष चंद्र बोस को दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। महात्मा गांधी के अहिंसक दृष्टिकोण से असहमत होते हुए, उन्होंने ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया।
‘आज़ाद हिंद रेडियो’ की शुरुआत और ऐतिहासिक नारे
नेताजी ने जर्मनी में ‘आज़ाद हिंद रेडियो’ की शुरुआत की और “जय हिंद”, “दिल्ली चलो” जैसे नारे दिए, जो आज भी हमारे दिलों में गूंजते हैं।
नेताजी के गुप्त विवाह की कहानी
नेताजी ने 1937 में एमिली शेंकल से गुप्त विवाह किया। उनकी बेटी, अनिता बोस पफाफ, जर्मनी में प्रमुख अर्थशास्त्री बनीं।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का ऐतिहासिक नामकरण
1943 में नेताजी ने इन द्वीपों का नाम ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ रखा, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत की संप्रभुता को दर्शाता था।
आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना: एक ऐतिहासिक कदम
21 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने ‘आज़ाद हिंद सरकार’ की स्थापना की, जो स्वतंत्र भारत की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।
भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का निर्माण
नेताजी ने भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया।
‘द इंडियन स्ट्रगल’ का लेखन और उसकी भूमिका
नेताजी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द इंडियन स्ट्रगल’ लिखी, जिसे ब्रिटिश भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया। यह किताब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गहरी जानकारी देती है।
नेताजी का रहस्यमयी निधन
नेताजी का निधन 1945 में ताइवान में विमान दुर्घटना में हुआ, लेकिन उनके निधन के कारण आज भी रहस्य बने हुए हैं। कुछ लोग मानते हैं कि उन्होंने अपनी मौत को छिपाया और गुमनाम जीवन जीने के लिए चले गए।
अंत में: Netaji Jayanti – उनकी विरासत को सम्मान
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन केवल स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमें अपने आदर्शों और मूल्यों के लिए खड़े होने की प्रेरणा भी देता है। उनका संघर्ष, बलिदान और कठिनाइयों का सामना हमें सिखाता है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।