विशाल टुसू मेला: झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर का शानदार उत्सव!
झारखंड के बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में विशाल टुसू मेला का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक परंपराओं को एक साथ देखा गया। झारखंडवासी एकता मंच द्वारा आयोजित इस मेले ने हर वर्ग के लोगों को उत्साह और उमंग से भर दिया। आइए जानते हैं इस मेले की कुछ खास बातें, जो इसे सचमुच खास बनाती हैं!
झारखंड की संस्कृति का रंगारंग जश्न
क्या आपने कभी टुसू गीतों की धुन पर झूमने का अनुभव किया है? या चौड़ल नृत्य और बूढ़ी गाड़ी नाच की परंपरागत प्रस्तुतियों को करीब से देखा है? टुसू मेला ने इन अद्भुत कलाओं को मंच देकर हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक झलक ने यहां आए हर व्यक्ति के दिल को छू लिया।
पुरस्कारों की बरसात: कला का सम्मान
कलाकारों की मेहनत और अद्भुत प्रस्तुतियों को सराहने के लिए नकद पुरस्कार और सांत्वना पुरस्कार दिए गए। यह न केवल एक सम्मान था बल्कि क्षेत्रीय कला और कलाकारों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक बड़ी पहल भी रही।
गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी ने बढ़ाया उत्साह
इस उत्सव में झारखंड के प्रमुख नेताओं और सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया।
- बन्ना गुप्ता (पूर्व मंत्री)
- विद्युत वरण महतो (सांसद)
- सविता महतो (विधायक)
- सुमन महतो (पूर्व सांसद)
उनकी मौजूदगी ने कार्यक्रम में एक खास गरिमा जोड़ी और प्रतिभागियों का उत्साह दोगुना कर दिया।
मुख्य आकर्षण: जहां हर पल खास था
- हेलीकॉप्टर जैसा दिखने वाला अनोखा ऑटो मेले में आकर्षण का केंद्र रहा। इसे मुचीराम मुर्मू ने तैयार किया था
- रंजीत महतो की आवाज में गीतों ने गोपाल मैदान को संगीतमय बना दिया।
शहीदों को समर्पित श्रद्धांजलि
झारखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को इस आयोजन में श्रद्धांजलि दी गई। उनके योगदान को याद करते हुए माल्यार्पण किया गया। यह भावुक क्षण हर झारखंडवासी के दिल को छू गया।
मेले की धूम और व्यवस्थाएं
इस मेले में हर उम्र के लोग शामिल हुए। ठेला-खोमचा दुकानों में स्वादिष्ट व्यंजन और आकर्षक वस्त्रों की बिक्री ने मेले को एक छोटे व्यापारिक हब में बदल दिया।
- खाने-पीने के स्वादिष्ट स्टॉल
- वस्त्रों और हस्तशिल्प की खरीदारी
- बच्चों के लिए खेल और मनोरंजन
हर कोना लोगों के उत्साह से भरा हुआ था।
झारखंड की परंपरा और भविष्य का सेतु
विशाल टुसू मेला केवल एक उत्सव नहीं है; यह झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। आयोजकों ने इस पहल को एक ऐसा मंच बनाया, जहां क्षेत्रीय प्रतिभाएं अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें और लोग अपनी जड़ों से जुड़ सकें।
क्या आप भी इस मेले का हिस्सा बने? यदि हां, तो हमें अपने अनुभव जरूर बताएं!
यदि नहीं, तो अगले साल इस अद्भुत मेले का आनंद लेना न भूलें!
झारखंड की कला और संस्कृति से जुड़े ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देने में आपका सहयोग बहुत मायने रखता है। टुसू मेला में मिले अनुभवों को आप किस तरह याद करते हैं? नीचे कमेंट में साझा करें!